Bihar Voter List: RJD नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने बिहार में चल रही विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision) प्रक्रिया को लेकर चुनाव आयोग (Election Commission) पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने SIR को ‘सिर्फ दिखावा’ करार दिया और आरोप लगाया कि यह पूरी कवायद मतदाता सूची से नाम हटाने की एक सुनियोजित साज़िश है।
‘अभी तक हमारा फॉर्म भी नहीं भरा गया है’
तेजस्वी यादव ने कहा, ‘चुनाव आयोग दावा कर रहा है कि 80% से ज़्यादा फॉर्म भरे जा चुके हैं, जबकि हमारा अपना फॉर्म ही नहीं भरा गया है। सवाल यह है कि क्या यह आँकड़ा सही है? और अगर हाँ, तो इनमें से कितने फॉर्म असली और सत्यापित हैं?’
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उन्होंने यह भी दावा किया कि कई मतदाताओं को तो यह भी पता नहीं है कि उनके नाम से फॉर्म भरा गया है। बीएलओ और आम नागरिक, दोनों ही इस प्रक्रिया को लेकर असमंजस में हैं।
तेजस्वी यादव ने पूछा कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सलाह के बावजूद चुनाव आयोग ने दस्तावेजों की सूची में कोई बदलाव क्यों नहीं किया? उन्होंने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि ‘चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है।’
‘एक भी वोट कटा तो अपराध होगा’
तेजस्वी यादव ने संदेह जताया कि क्या यह संभव है कि हर बूथ से 10-50 वोट काटने का लक्ष्य BJP और उसके शीर्ष नेताओं मोदी (Modi), अमित शाह (Amit Shah) और नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के इशारे पर दिया गया हो? उन्होंने कहा कि अगर एक भी वोट कटा तो इससे बड़ा कोई अपराध नहीं होगा और इसके लिए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और मुख्यमंत्री ज़िम्मेदार होंगे।
ओवैसी ने भी उठाए सवाल
वहीं, एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (AIMIM chief Asaduddin Owaisi) ने भी इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा, ‘यह शर्मनाक है कि एक संवैधानिक संस्था अब ‘सूत्रों’ के हवाले से बयान दे रही है।’ यह सब चुनाव से ठीक पहले हो रहा है, जब सबसे गरीब तबके के पास ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं हैं। ऐसा लगता है कि लोगों को जानबूझकर लाचार बनाया जा रहा है।
‘अब साफ़ हो गया है कि मतदाता सूची में विदेशियों के नाम कैसे आए’
BJP आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय (BJP IT cell chief Amit Malviya) ने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा, ‘2003 में जब बिहार में आखिरी बार SIR हुआ था, तब राज्य में RJD की सरकार (RJD government) थी, राबड़ी देवी मुख्यमंत्री (Rabri Devi Chief Minister) थीं, लेकिन लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) अप्रत्यक्ष रूप से सत्ता पर काबिज़ थे। अब साफ़ हो गया है कि मतदाता सूची में विदेशियों के नाम कैसे आए। यह भी साफ़ हो रहा है कि दिल्ली से पटना तक धर्मनिरपेक्षता के ठेकेदार इतने परेशान क्यों हैं।’
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