Bihar Voter List : बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची की विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Revision Process (SIR)) शुरू करने को लेकर राजनीतिक विवाद छिड़ गया है। विपक्षी दलों और कार्यकर्ताओं का आरोप है कि इससे लाखों गरीब और वंचित लोगों के नाम मतदाता सूची से हट सकते हैं। कुछ विपक्षी दलों ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। आज इस मामले की सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चुनाव आयोग (Election Commission (ECI) )(SIR) से सवाल किए हैं। कोर्ट ने कहा कि इस प्रक्रिया में कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे बहुत पहले शुरू किया जाना चाहिए था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “SIR प्रक्रिया में कुछ भी गलत नहीं है, लेकिन इसे समय पर पूरा किया जाना चाहिए था। अब जब विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं, तो इतनी बड़ी प्रक्रिया को 30 दिनों में पूरा करने की बात कही जा रही है। यह व्यावहारिक नहीं लगता।”
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न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया (Justice Sudhanshu Dhulia) और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या (Justice Joymalya Bagchi) बागची की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि इस प्रक्रिया को कृत्रिम या काल्पनिक कहना उचित नहीं है, क्योंकि इसमें कुछ तर्क ज़रूर है।
अदालत ने पूछे ये अहम सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा, “आप विशेष पुनरीक्षण के दौरान नागरिकता के सवालों में क्यों पड़ रहे हैं? यह गृह मंत्रालय (एमएचए) का अधिकार क्षेत्र है।” अदालत ने यह भी सवाल किया कि जब आधार एक वैध पहचान पत्र है, तो चुनाव आयोग इसे स्वीकार क्यों नहीं कर रहा है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा, “विशेष पुनरीक्षण प्रक्रिया (एसआईआर) में कोई बुनियादी समस्या नहीं है। लेकिन इसे चुनावों से स्वतंत्र और समय पर पूरा किया जाना चाहिए था।”
इतनी देर क्यों?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा, “जब यह प्रक्रिया पहले की जा सकती थी, तो इसे इतनी देर से क्यों शुरू किया गया?” आपको बता दें कि चुनाव आयोग पहले कह चुका है कि यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के तहत मतदाता सूची की शुद्धता सुनिश्चित करने के लिए की जा रही है।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वकील ने दलील दी कि चुनाव से कुछ महीने पहले अचानक इतनी बड़ी कवायद करना अनुचित है। चुनाव आयोग आधार कार्ड स्वीकार नहीं कर रहा है और लोगों से माता-पिता के दस्तावेज़ भी माँग रहा है। यह पूरी प्रक्रिया मनमानी और भेदभावपूर्ण है और इसका उद्देश्य मतदाताओं, खासकर गरीब, प्रवासी मजदूरों और कमज़ोर तबके के लोगों को सूची से बाहर करना है।
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