Women Reservation Bill: नए संसद भवन में प्रवेश करने के साथ ही पीएम मोदी (PM Modi) ने 2024 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) जीतने के दांव चल दिया है। एक ऐसा दांव, जिसके माध्यम से बीजेपी (BJP), 2024 के लोकसभा चुनाव में 43 करोड़ महिलाओं को साधने की तैयारी कर रही है। पीएम मोदी ने दांव भी ऐसा चला है जिससे विपक्षी चारों नाल चित हो गए है , पीएम मोदी (PM Modi) के इस दांव से विपक्ष खेमें में भी खुशी की लहर है। महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill), यह ऐसा चुनावी दांव है, पीएम मोदी ने विपक्षी खेमें के पास नाखुशी का कोई मौका तक नहीं दिया। कांग्रेस (Congress) ने कोई देरी नहीं किया यह कहने को लगे हाथ कह दिया कि ये तो उनके ही प्रयासों का नतीजा है। कांग्रेस नेता जयराम रमेश (Congress leader Jairam Ramesh) ने कहा, कांग्रेस लंबे समय से महिला आरक्षण बिल (Women Reservation Bill) को लागू करने की मांग करती रही है।
2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में जीतकर आईं 78 महिला सांसद
बता दें कि 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के समय जो मतदाता सूची जारी हुई थी, उसमें महिला वोटरों की संख्या 43.2 करोड़ थी और पुरुष की संख्या 46.8 करोड़ मतदाता सूची थे। 17 वीं लोकसभा चुनाव में देश भर से 78 महिला चुनाव जीत कर संसद में पहुंची थी। संसद में महिलाओं की संख्या 14.36 प्रतिशत है। 2014 के लोकसभा चुनाव में 62 महिलाओं ने चुनाव जीता था। अगर 1951 की बात करें तो लोकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व महज 5 प्रतिशत था। साल 2019 में यह प्रतिशत बढ़कर 14 हो गया है। कांग्रेस के कार्य समिति ने पहले से ही यह मांग की थी कि संसद के विशेष सत्र के दौरान महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाना चाहिए।
कांग्रेस ने महिला आरक्षण के बारे में क्या कहा देखिए?
सबसे पहले राजीव गांधी (Rajiv Gandhi) ने 1989 के दौरान मई में पंचायतों (panchayats) और नगर पालिकाओं (Municipalities) में महिलाओं के 1 तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक पेश किया था। वह विधेयक लोकसभा में पारित हो गया था, लेकिन सितंबर 1989 में राज्यसभा में पास नहीं नहीं हुआ।
अप्रैल 1993 में तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव ने पंचायतों और नगर पालिकाओं में महिलाओं के 1 तिहाई आरक्षण के लिए संविधान संशोधन विधेयक को फिर से पेश किया। दोनों विधेयक पारित हुए और कानून बन गए।
आज पंचायतों और नगर पालिकाओं में 15 लाख से अधिक निर्वाचित महिला प्रतिनिधि हैं। यह संख्या 40 प्रतिशत के आसपास है।
महिलाओं के लिए संसद और राज्यों की विधानसभाओं में 1 तिहाई आरक्षण के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह संविधान संशोधन विधेयक लाए। विधेयक 9 मार्च 2010 को राज्यसभा से पारित हुआ। लेकिन लोकसभा में नहीं ले जा सका।
राज्यसभा में पेश/पारित किए गए विधेयक समाप्त नहीं होते हैं, इसलिए महिला आरक्षण विधेयक अभी भी जीवित है।
कांग्रेस पिछले 9 साल से मांग कर रही है कि महिला आरक्षण विधेयक, पहले ही राज्यसभा से पारित हो चुका है, उसे लोकसभा से भी पारित कराना चाहिए।
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