Rajnath Singh: पहलगाम नहीं तो हस्ताक्षर भी नहीं, चीन की धरती से भारत की दहाड़, राजनाथ सिंह का फैसला क्यों अहम

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Rajnath Singh

Rajnath Singh: भारतीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह चीन (China) पहुंचे और आतंकवाद (terrorism) पर एक बार फिर देश का रुख साफ किया। खबर है कि उन्होंने SCO यानी शंघाई सहयोग संगठन के संयुक्त बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया है। इसकी वजह यह थी कि दस्तावेजों में जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पहलगाम (Pahalgam) में हुई आतंकी घटना का जिक्र नहीं था। माना जा रहा है कि चीन के दबदबे वाले SCO में इस तरह का फैसला लेना आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के लिए काफी अहम था।

पेन एक तरफ रख दें
SCO समिट से जुड़े कुछ वीडियो सामने आए हैं, जिसमें सिंह अपनी पेन एक तरफ रखकर बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार करते नजर आ रहे हैं। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने ब्रीफिंग में बताया, ‘भारत चाहता था कि दस्तावेजों में आतंकवाद को लेकर चिंता दिखनी चाहिए, जो एक खास देश को मंजूर नहीं था। ऐसे में बयान को अंतिम रूप नहीं दिया गया।’

SCO के ड्राफ्ट बयान में पहलगाम का जिक्र नहीं था। जबकि, बलूचिस्तान में ट्रेन हाईजैक की घटना पर यहां चर्चा हुई। खास बात यह है कि पाकिस्तान भारत पर बलूचिस्तान में समस्याएं पैदा करने का आरोप लगाता रहा है। बलूचिस्तान एक स्वतंत्र देश बनना चाहता है।

क्यों है अहम
परंपरागत तौर पर माना जाता है कि SCO में रूस और चीन का दबदबा है। अब साल 2022 से लेकर अब तक रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध चल रहा है, इसलिए चीन का कद बढ़ गया है। इस साल चीन संगठन का अध्यक्ष था और बैठक किंगदाओ में हुई थी। खास बात यह है कि पाकिस्तान चीन का पुराना सहयोगी है। इसके अलावा ऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन ने पाकिस्तान को मदद भी दी थी।

अब चीन लंबे समय से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को बचाने के लिए अपने प्रभाव का इस्तेमाल करता रहा है। माना जा रहा है कि भारत द्वारा दस्तावेज पर हस्ताक्षर न करना काफी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस बार चीन की अध्यक्षता में हुई बैठक में भारत की असहमति के कारण संयुक्त बयान जारी नहीं हो सका। इससे पता चलता है कि भारत आतंकवाद के मुद्दे पर किसी समझौते के मूड में नहीं है। भारत लंबे समय से यह स्पष्ट करता रहा है कि आतंकवाद और व्यापार एक साथ नहीं चल सकते।

क्या कहा राजनाथ सिंह ने
सम्मेलन में अपने संबोधन में सिंह ने आतंकवादी समूहों को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान पर निशाना साधा और सीमा पार आतंकवाद सहित आतंकवादी घटनाओं के ‘अपराधियों, साजिशकर्ताओं, वित्तपोषकों और प्रायोजकों’ को जवाबदेह ठहराने की अपील की। ​​पहलगाम हमले के जवाब में भारत द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर को रेखांकित करते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि ‘आतंकवाद के केंद्र (ठिकाने) अब सुरक्षित नहीं हैं और हम उन्हें निशाना बनाने में संकोच नहीं करेंगे।’

बुधवार को यहां पहुंचे सिंह ने कहा, “कुछ देश सीमा पार आतंकवाद को नीतिगत उपकरण के रूप में इस्तेमाल करते हैं और आतंकवादियों को पनाह देते हैं। इस तरह के दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए। एससीओ को ऐसे देशों की आलोचना करने में संकोच नहीं करना चाहिए।”

रक्षा मंत्री ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की नीति में “परिवर्तन” की व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत की और एससीओ सदस्य देशों से एकजुट होकर इससे लड़ने और “दोहरे मानदंडों” से दूर रहने का आग्रह किया। सिंह ने कहा, “आतंकवाद और आतंकवादी समूहों के हाथों में सामूहिक विनाश के हथियारों के प्रसार के साथ शांति और समृद्धि एक साथ नहीं रह सकती।”

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