अमरीश पुरी का जन्म पंजाब में 22 जून 1932 को हुआ था, 12 जनवरी 2005 को उनका निधन हो गया.

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मोगैंबो खुश हुआ (मिस्टर इंडिया- 1987)

ये अदालत है, कोई मंदिर या दरगाह नहीं जहां मन्नतें और मुरादें पूरी होती हैं, यहां धूप बत्ती और नारियल नहीं बल्कि ठोस सबूत और गवाह पेश किए जाते हैं (दामिनी- 1993)

थप्पड़ तुम्हारे मुंह पर पड़ा है और निशान मेरे गाल पर पड़े हैं  (विश्वात्मा- 1992)

गलती एक बार होती है, दो बार होती है, तीसरी बार इरादा होता है (इलाका- 1989)

ये दौलत भी क्या चीज़ है, जिसके पास जितनी भी आती है, कम ही लगती है (दीवाना- 1992)

पैसों के मामले में मैं पैदाइशी कमीना हूं, दोस्ती और दुश्मनी का क्या, अपनों का खून भी पानी की तरह बहा देता हूं (करन अर्जुन- 1995)

 नए जूतों की तरह शुरू में नए अफसर भी काटते हैं (मुकद्दर का बादशाह- 1990)

डॉन्ग कभी रॉन्ग नहीं होता (तहलका- 1992)

जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी! (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे- 1995)

आदमी के पास दिमाग हो तो अपना दर्द भी बेच सकता है (ऐतराज- 2004)

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