Divorced Wife: ‘तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की मांग कर सकती है’, पटना हाईकोर्ट का अहम फैसला

Divorced Wife: पटना हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि तलाक के बाद भी पत्नी भरण-पोषण की हकदार है। कोर्ट ने फैमिली कोर्ट (Family Court) के उस आदेश पर आपत्ति जताई जिसमें आय का आकलन किए बिना भरण-पोषण तय किया गया था। रूही शर्मा मामले में कोर्ट ने कहा कि पांच साल से अधिक समय से अलग रहने के कारण वैवाहिक संबंध समाप्त हो चुके हैं।

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Divorced Wife: पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने अपने एक अहम फैसले में स्पष्ट किया कि तलाक (Divorced) के बाद भी पत्नी भरण-पोषण (maintenance) की मांग कर सकती है और तलाक की डिक्री पारित होने के बाद भी यह अधिकार उसके पास सुरक्षित रहता है।

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि आय और संपत्ति का आकलन किए बिना फैमिली कोर्ट द्वारा स्थायी भरण-पोषण तय करने की प्रक्रिया कानून के खिलाफ है।

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यह मामला पत्नी रूही शर्मा द्वारा पति विनय कुमार शर्मा के खिलाफ दायर तलाक याचिका से संबंधित है, जिसमें फैमिली कोर्ट, भागलपुर ने तलाक के साथ 15 लाख रुपये स्थायी भरण-पोषण राशि निर्धारित की थी।

इस फैसले के खिलाफ पति ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। मामले के तथ्यों के अनुसार 29 जनवरी 2016 को दोनों पक्षों के बीच विवाह संपन्न हुआ था। आरोप है कि विवाह के बाद पत्नी को शारीरिक व मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया, दहेज की मांग की गई तथा उसके साथ जबरन अप्राकृतिक यौनाचार किया गया। परिणामस्वरूप पत्नी ने 13 जून 2016 को ससुराल छोड़ दिया तथा कई आपराधिक मामले दर्ज कराए।

फैमिली कोर्ट ने उपरोक्त घटनाओं को “क्रूरता” व “परित्याग” मानते हुए तलाक मंजूर कर लिया। साथ ही पति को 15 लाख रुपए की स्थायी भरण-पोषण राशि देने का आदेश दिया।

हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के तलाक के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि पांच साल के लंबे अलगाव के कारण वैवाहिक संबंध समाप्त हो चुके हैं तथा अब दोबारा साथ रहने की संभावना नहीं है।

हालांकि, हाईकोर्ट ने भरण-पोषण राशि निर्धारित करने की प्रक्रिया पर आपत्ति जताते हुए कहा कि न तो पति ने और न ही पत्नी ने अपनी आय व संपत्ति का ब्यौरा प्रस्तुत किया है, जो कि रजनीश बनाम नेहा (2021) व अन्य मामलों में सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित मानकों के अनुसार अनिवार्य है।

न्यायमूर्ति पी.बी.बजनाथरी और न्यायमूर्ति एस.बी.पी. सिंह की खंडपीठ (Justice P.B. Bajnathri and Justice S.B.P. Singh) ने भरण-पोषण की राशि पुनः निर्धारित करने के लिए मामले को भागलपुर स्थित पारिवारिक न्यायालय को भेज दिया है। न्यायालय ने तीन माह के भीतर प्रक्रिया पूरी करने और दोनों पक्षों को सहयोग करने का भी निर्देश दिया है।

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