Caste Census: देशभर में अब होगा जातीय जनगणना मोदी सरकार के निर्णय के बाद बिहार की सियासत में भी जबरदस्त हलचल मच गई है। अब तक जाति जनगणना (Caste Census) को महागठबंधन अपना मुद्दा मानकर चल रहा था और इसे बिहार विधानसभा चुनाव में भुनाने की तैयारी भी कर रहा था। लेकिन, PM मोदी के इस फैसले ने अचानक राजनीति सरगर्मी तेज कर दी है। अब इसको लेकर RJD नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) ने PM मोदी को पत्र लिखा है। पत्र के माध्यम से तेजस्वी यादव ने PM मोदी के सामने जाति जनगणना को लेकर अपनी बातें रखी हैं और इसको विस्तार देने के साथ ही कुछ नई मांग भी सामने रखी है।
ये भी पढ़ें-: Bihar Politics: पप्पू यादव ने चुनाव से पहले संभाला मोर्चा, कांग्रेस को 70 नहीं 100 सीट मिले
RJD नेता तेजस्वी यादव ने पत्र में लिखा, जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग केवल आंकड़ों की नहीं बल्कि सम्मान की, सिर्फ़ गणना की नहीं बल्कि सशक्तिकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं। तेजस्वी यादव ने पत्र जो पत्र लिखा वह आगे दिया गया है।
तेजस्वी यादव की मांगें क्या हैं? पूरा पत्र आगे दिया गया है।
आदरणीय प्रधानमंत्री जी, देश भर में जाति जनगणना कराने की आपकी सरकार की हाल की घोषणा के बाद, मैं आज आपको सतर्क आशावाद की भावना के साथ लिख रहा हूं। वर्षों से आपकी सरकार और एनडीए गठबंधन ने जाति जनगणना की मांग को विभाजनकारी और अनावश्यक बताकर खारिज कर दिया था। जब बिहार ने अपने संसाधनों से जाति सर्वेक्षण कराने की पहल की, तो केंद्रीय सरकार और उसके शीर्ष कानून अधिकारी ने हर कदम पर बाधाएं खड़ी कीं। आपकी पार्टी के सहयोगियों ने इस तरह के डेटा संग्रह की आवश्यकता पर ही सवाल उठाया। अनेक प्रकार कि फूहड़ और अशोभनीय टिप्पणियां कि गयीं। आपका विलंबित निर्णय उन नागरिकों की मांगों की व्यापकता को स्वीकार करता है, जिन्हें लंबे समय से हमारे समाज के हाशिये पर रखा गया है।
बिहार के जाति सर्वेक्षण ने, जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी हमारे राज्य की आबादी का लगभग 63% हिस्सा हैं, यथास्थिति बनाए रखने के लिए फैलाए गए कई मिथकों को तोड़ दिया। इसी तरह के पैटर्न देश भर में सामने आने की संभावना है। मुझे यकीन है कि यह खुलासा कि वंचित समुदाय हमारी आबादी का अधिकांश हिस्सा होने के बावजूद हर जीवन क्षेत्र में कम प्रतिनिधित्व रखते हैं, एक लोकतांत्रिक जागरण पैदा करेगा।
जाति जनगणना कराना सामाजिक न्याय की लंबी यात्रा का पहला कदम मात्र है। जनगणना के आंकड़ों से सामाजिक सुरक्षा और आरक्षण के दायरे को आबादी के अनुरूप बढाने का ध्येय भी इस प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा होना चाहिए। एक देश के रूप में, हमारे पास आगामी परिसीमन में कई प्रकार के अन्याय को ठीक करने का एक महत्वपूर्ण अवसर भी है। निर्वाचन क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण जनगणना के आंकड़ों के प्रति संवेदनशील होना चाहिए। ओबीसी और ईबीसी का निर्णय लेने वाले संस्थानों में पर्याप्त राजनीतिक प्रतिनिधित्व के लिए विशेष प्रावधान किए जाने चाहिए। राज्य विधानसभाओं और भारत की संसद में आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के आधार पर इन वंचित समूहों को सम्मिलित किया जाना होगा।
तेजस्वी यादव ने आगे लिखा, हमारा संविधान अपने निर्देशक सिद्धांतों के माध्यम से राज्य को आर्थिक असमानताओं को कम करने और संसाधनों के न्यायसंगत वितरण को सुनिश्चित करने का आदेश देता है। जब हम यह जानेंगे कि हमारे कितने नागरिक वंचित समूहों से संबंधित हैं और उनकी आर्थिक स्थिति क्या है, तब अधिक सटीकता के साथ लक्षित हस्तक्षेप तैयार किए जाने चाहिए। निजी क्षेत्र, जो सार्वजनिक संसाधनों का प्रमुख लाभार्थी रहा है, सामाजिक न्याय की आवश्यकताओं से अलग नहीं रह सकता। कंपनियों को पर्याप्त लाभ मिलता रहा है – रियायती दरों पर जमीन, बिजली सब्सिडी, कर छूट, बुनियादी सुविधाएँ, और विभिन्न प्रकार का वित्तीय प्रोत्साहन। इसका बोझ करदाता के कंधे उठाते हैं। बदले में, निजी उद्योग क्षेत्र से हमारे देश की सामाजिक संरचना को प्रतिबिंबित करने की अपेक्षा करना पूरी तरह से उचित है। जाति जनगणना के संदर्भ में निजी क्षेत्र में समावेशिता और विविधता के बारे में खुली बातचीत होनी चाहिए।
RJD नेता तेजस्वी यादव ने अंत में लिखा, प्रधानमंत्री जी, आपकी सरकार अब एक ऐतिहासिक चौराहे पर खड़ी है। जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है। हमारे पुरखों ने कई दशकों से इन आंकड़ों के संग्रह के लिए संघर्ष किया है। अतः इस निर्णय को अमली जामा पहनाने में किंचित भी विलंब नहीं होना चाहिए। एक दीगर सवाल यह भी है कि क्या डेटा का उपयोग प्रणालीगत सुधारों के लिए उत्प्रेरक के रूप में किया जाएगा, या यह कई पिछली आयोग रिपोर्टों की तरह धूल भरे अभिलेखागार तक ही सीमित रहेगा? बिहार के प्रतिनिधि के रूप में, जहां जाति सर्वेक्षण ने जमीनी हकीकत के प्रति आंखें खोली हैं, मैं आपको सामाजिक परिवर्तन करने में रचनात्मक सहयोग का आश्वासन देता हूं। इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग न केवल डेटा बल्कि सम्मान, न केवल गणना बल्कि सशक्तिकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
ये भी पढ़ें-:
Bihar Politics: पप्पू यादव ने चुनाव से पहले संभाला मोर्चा, कांग्रेस को 70 नहीं 100 सीट मिले
MI vs RR: रोहित शर्मा ने पत्नी रितिका की ओर इशारा किया, RR के तेज गेंदबाज आकाश मधवाल ने हाथ जोड़कर उनसे जर्सी पर हस्ताक्षर करवाए
RCB vs DC:’जब विराट कोहली दूसरे छोर पर होते हैं…’: क्रुणाल पांड्या ने मैच जीतने वाली RCB साझेदारी का विश्लेषण किया, कहा ‘मेरी भूमिका स्पष्ट थी’